Ek shahar chhota sa
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कभी देखा है,
हवाओं पे पांवों के निशान।
हाँ ये मोहब्बत है ,
और मोहब्बत में मुमकिन है।
अरमानों के पंख होते है ,
बादलों पे घर होता है ।
कभी सुनी है,
दो जवां दिलों की गुफ्तगू ।
हाँ ये मोहब्बत है,
और मोहब्बत में मुमकिन है ।
जब धड़कनें उफान पर होती है ,
तो बंद, खुली , अधखुली आँखें
करती है ढेरो बातें।
निरेन
nirenchandra@ymail.com
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