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रुप्पैयालाल रो रहा है ।
पिछले कुछ दिनों से रुप्पैयालाल रो रहा है। चुप्प होने का नाम नहीं ले रहा है. उसके पिता, पी सी (प्रितम चंद) को राजनीति से फुर्सत नहीं मिलती और बैंक में कार्यरत माता रमा बाई घडी घडी डांट लगाती रहती थी। अब तो नतीजा यह है की अश्रु धारा अविरल बहे जा रही है। रुप्पैयालाल सबका बड़ा प्यारा है। बूढ़े डाक्टर दादा जो कभी हवा में उछाल उछाल कर खेलाया करते थे, आज वो भी उसकी हालत देख कर चंतित है। परन्तु उनकी मुद्रा ऐसी है की मै तो अब थोड़े दिनों का मेहमान हूँ तेरा कुछ नहीं कर सकता।
मोटे लेंसोंकी चश्मा पहने पिता पी सी, आखें तरेरते हुए पत्नी से पूछा उसे हुआ क्या जो वह रोये जा रहा है। पत्नी ने भी बिना विलम्ब करते हुए बताया की वह पास के इकॉनमी गार्डन में खेल रहा था वहीँ गिर गया। दुबले पतले से रुप्पैयालाल ने मां की बात बीच में काटते हुए चीख कर कहा की मैं खुद नहीं गिर वह तो सैम अंकल के लड़के डालर ने धक्के मार कर गिरा दिया। इसके बाद तो उसने शिकायतों की झड़ी लगा दी कहने लगा सोना भी उसे मुहँ चिढाती है ,पेट्रोल और डीजल तो पहले से उसे तंग करते है। प्याज भी उसके साथ नहीं खेलता है, सिर्फ एक सेंसेक्स ही उसका सच्चा दोस्त है। जो उसकी भावनाओं को समझता है और उसके दुःख से दुखी हो जाता है।
वातावरण में बेचैन कर देने वाली ख़ामोशी थी। तभी बैंकर माता ने चुप्पी तोड़ते हुए इसे कुछ बाजार से दे दिला के चुप्प क्यों नहीं कर देते।“एफ़डीआई चाकलेट मंगवाया है, पर जाने क्यों कोई ले कर आया नहीं,अब तो बस एफ़डीआई चाकलेट ही इसे चुप्प करा सकता है। पी सी ने लम्बी साँस लेते हुए कहा। “तो क्या इकॉनमी गार्डन में कुछ नहीं मिलता” माता ने पुनः सवाल किया।“ इकॉनमी गार्डन तो बस नाम का गार्डन रह गया है अब तो देसी दुकानदार भी उसे छोड़ कर भाग रहे हैं” पिता ने स्थिति स्पष्ट की। पूरा कुनबा आस लगाये बैठा था। नौकरों की भी मैराथन दौड़ चल रही थी पर एफ़डीआई चाकलेट आने की कोई सुगबुगाहट नहीं थी।
विदेशी विश्वविद्यालय पढ़े पिता और डाक्टर दादा को ये कब समझ आएगा की बाहरी चीज खाने से बच्चा कमजोर हो जाता है। आपने रुप्पैयालाल के साथ भी यही हुआ आज उसे देशी घी और दूध मिला होता तो वह इतना कमजोर न होता और कोई भी उसे धक्के मार कर न चला जाता। अगर आप भी रुप्पैयालाल को प्यार करते है तो चीनी सामानों से त्यौहार , सोने का मोह और पेट्रोल और डीजल का दुरुपयोग छोड़ दीजिये और दुआ कीजिये की उसके संरक्षक उसकी उचित देख भाल करें वर्ना चुनाव का साल आने वाला है।
निरेन
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