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सब कहते है….

Ek shahar chhota sa
Ek shahar chhota sa
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सब कहते है….
सब कहते है कि मैं उन में से नहीं ,
जो लोग इर्ष्या करते हैं I
तो क्यूं पड़ोसियों की तरक्की पर
झूठी मुस्कान बिखेरते हैं !
सब कहते है कि मैं उन में से नहीं ,
लोग जो बदल जाते हैं I
तो क्यूं जरूरतों में अजनबी हो जाते हैं लोग
सब कहते है कि मैं उन में से नहीं
जो लालच करते हैं I

तो क्यूं बाज़ारों में हर चीज बिकने को तैयार है!
सब कहते है कि मैं उन में से नहीं,
जो झूठ कहा करते I
तो क्यूं पांच साल सिर्फ आश्वासन में ही गुजर जाते हैं !
हर आदमी अहम् की चादर ओढ़े,
यही कहता है कि
मैं उनमें से नहीं I
कहने के बजाय खुद से पूछ ले
क्या मै सचमुच उनमें से नहीं ………?

निरेन चंद्रा

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